2. तब याद तुम्हारी आती है ! (कवि- रामनरेश त्रिपाठी) Ø कविता का भावार्थ :- जब बहुत सुबह यानि बड़े सवेरे उठकर चिड़िया खुशी के गीत गाती है, कलियाँ अपनी पँखुडिया खोलकर फूल बन जाती है और खुश होकर अपनी खुशबू चारों ओर फैलाने लगती है तब हे जगत के सिरजन हार प्रभु, हे भगवान मुझे तुम्हारी याद आती है । वर्षाऋतु में जब बारीश की बूँदे गीरती है और आकाश में बीजली चमकती है, तब मैदानों में, जंगल में, बागों में हरियाली छा जाती है । जब ठंड़ी ठंड़ी हवा दूर दूर से मस्ती भरी हवा लेकर आती है और हमें प्रफूल्लित कर जाती है तब है जगत के सिरजन हार प्रभु, हे भगवान मुझे तुम्हारी याद आती है । Ø समानार्थी शब्द लिखिए :- · सुबह - सवेरा, पात:काल · खुशी - आनंद, हर्ष · दुनिया - विश्व, संसार, · खुशबू - सुगंध, सुवास · चिड़िया - पक्षी, पंछी · लहर - तरंग, झोंका · जग - जगत, विश्व, दु