2. एक जगत , एक लोक Ø " कविता का सार " एक जगत एक लोक , सबका है एक मान , एक चंद्र , एक सूर्य , एक भूमम , आसमान यह पूरी दुनिया एक है । संसार के सभी मानव भी एक ही है । इस संसार के सभी लोगों को सम्मान मिलना चाहिए । पूरे संसार को एक ही चंद्र की रोशनी मिलती है । एक ही सूर्य पूरे लोक में उजाला फैलाता है । संसार के सभी जीव एक ही आसमान के नीचे एक ही धरती पर रहते हैं । एक तेज , एक हवा , एक ही पानी जीवन है सुख - दुःख की एक कहानी एक देह , एक रक्त – (3) एक अस्थि , एक प्राण । एक..... हर एक मनुष्य को प्रकाश , हवा और पानी मिलता है , वह भी एक है । सबके जीवन में आनेवाले सुख - दु : ख भी एक समान है । हमारे शरीर और खून भी एक समान है । शरीर की रचना भी एक समान हड्डियों से हुई हैं । हम सब में प्राण भी एक समान है । हर्ष भरे गाएँ हम राग सुहाने समता और ममता के गीत – तराने घर - घर में गूँज रहा (3) निशदिन यह मधुर गान । एक..... हम सबको एक साथ मिलकर मधुर राग में आनंद के गीत का गान करना चाहिए । जिनसे समानता और ममता की भावना जागृत हो । घर-घर में यह मधुर गीत ...