वचन परिवर्तन | Vachan parivartan in hindi
वचन परिवर्तन
वचन परिवर्तन के नियम | vachan parivartan in Hindi |
- Ø संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रुप से संख्या का बोध हो, उसे ‘वचन’ कहते है ।
- Ø शब्द के जिस रुप से संख्या का बोध हो, उसे ‘वचन’ कहते है ।
- Ø जिस शब्द के द्वारा वस्तु के एक या अनेक होने का बोध होता है, उसे ‘वचन’ कहते है ।
(1) नियम- 1
è आकारांत (शब्दो के अंतिम उच्चारण) पुल्लिंग शब्दो का बहुवचन बनाने के लिए शब्दो के अंतिम ‘आ’ को ‘ए’ कर दिया जाता है ।
बच्चा - बच्चे
गधा - गधे
ताला - ताले
लड़का - लड़के
घोड़ा - घोड़े
बेटा - बेटे
कमरा - कमरे
छाता - छाते
तोता - तोते
रुपया - रुपए
अपवाद : कुछ ऐसी भी पुल्लिंग संज्ञाएँ है जिनके रुप दोनो वचनो में एक जैसे रहते हैं । जैसे –
मामा, चाचा, दादा, योद्धा, युवा, आत्मा, देवता आदि ।
(2) नियम – 2
आकारान्त पुल्लिंग के सिवा शेष मात्राओ से अन्त होनेवाले शब्दों के रुप दोनो वचनो में एक से रहते हैं ।
बालक पढ़ता है । - बालक पढ़ते हैं ।
हाथी खाता है । - हाथी खाते हैं ।
साधु आया है । - साधु आए हैं ।
उल्लु जाग रहा है । - उल्लु जाग रहे हैं ।
(3) नियम – 3
è अकारांत स्त्रीलिंग शब्दों का बहुवचन करने के लिए शब्दों के अंतिम ‘आ’ को ‘एं’ कर दिया जाता है ।
रात - रातें
बहन - बहनें
किताब - किताबें
भैस - भैसें
गाय - गायें
आदत - आदतें
बहन - बहनें
दीवार - दीवारें
आँख - आँखें
सड़क - सड़कें
बात - बातें
(4) नियम – 4
è आकारांत स्त्रीलिंग शब्दों का बहुवचन बनाने के लिए भी शब्दों के अंत में ‘एँ’ जोड़ दिया जाता है ।
लता - लताएँ
कन्या - कन्याएँ
बाला - बालाएँ
महिला - महिलाएँ
अध्यापिका – अध्यापिका
सेवा - सेवाएँ
बालिका - बालिकाएँ
भाषा - भाषाएँ
पाठशाला - पाठशालाएँ
कथा - कथाएँ
शाखा - शाखाएँ
(5) नियम – 5
è इकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के अंतमें ‘याँ’ जोड़कर बहुवचन बनाया जाता है ।
तिथि - तिथियाँ
विधि - विधियाँ
लिपि - लिपियाँ
जाति - जातियाँ
पंक्ति - पंक्तियाँ
नीति - नीतियाँ
रीति - रीतियाँ
(6) नियम – 6
è ईकारान्त स्त्रीलिंग शब्द का बहुवचन करने के लिए शब्द के अंत के ‘ई’ को ‘इ’ करके ‘याँ’ जोड़ दिया जाता है ।
सखी - सखियाँ
चींटी - चींटियाँ
नदी - नदियाँ
खिड़की - खिड़कियाँ
डाली - डालियाँ
मछली - मछलियाँ
कली - कलियाँ
रानी - रानियाँ
नारी - नारियाँ
चिठ्ठी - चिठ्ठियाँ
(6) नियम – 6
è ‘इया’ अंत वाले स्त्रीलिंग शब्द का बहुवचन करने के लिए शब्द के अंतिम ‘या’ को ‘याँ’ कर दिया जाता है ।
पुड़िया - पुड़ियाँ
चुहिया - चुहियाँ
बुढ़िया - बुढ़ियाँ
चिड़िया - चिड़ियाँ
डिबिया - डिबियाँ
गुड़िया - गुड़ियाँ
चुड़िया - चुड़ियाँ
(7) नियम – 7
è उकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के अंत में ‘एँ’ जोड़ने से बहुवचन बन जाता है ।
वस्तु - वस्तुएँ
धेनु - धेनुएँ
ऋतु - ऋतुएँ
बहु - बहुएँ
(8) नियम – 8
è ऊकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों में ‘ऊ’ का ‘उ’ करके ‘एँ’ जोड़ने से बहुवचन बन जाता है ।
वधू - वधुएँ
जू - जुएँ
(9) नियम - 9
è औकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के अंत में ‘एँ’ लगाकर के बहुवचन बनाया जाता है ।
गौ - गौएँ
नोंध : अ, आ, इ, ई के अलावा अन्य मात्राओ से अन्त होनेवाली स्त्रीलिंग संज्ञा के अंत में एँ जोड़कर बहुवचन बनाते है ।
(10) नियम – 10
è एक वर्ग, दया या समुह का बोध कराने के लिए कुछ एकवचन शब्दों के अंत में गण, वृंद, जन जैसे शब्द जोड़ दिए जाते हैं ।
प्रजा - प्रजाजन
पाठक - पाठकगण
लेखक - लेखतवृंद
मज़दूर - मज़दूरवर्ग
गुरु - गुरुजन
श्रोता - श्रोतागण
अध्यापक - अध्यापकवृंद
शिक्षक - शिक्षकवर्ग
छात्र - छात्रगण
कवि - कविगण
गरीब - गरीबलोग
मित्र - मित्रवर्ग
Ü वचन संबन्धि कुछ विशिष्ट निर्देश :
(1) 'प्रत्येक' तथा 'हरएक' का प्रयोग सदा एकवचन में होता है ।
1. प्रत्येक विद्यार्थी शांति रखेगा ।
2. हरएक मनुष्य दानी नहीं होता ।
(2) दूसरी भाषाओ के तत्सम या तद्भव शब्दों का प्रयोग हिन्दी व्याकरण के अनुसार होना चाहिए, उस विदेशी भाषा के अनुसार नहीं ।
अंग्रेजी में Foot का बहुवचन feet होता है, किन्तु हिन्दी में इसका प्रयोग इस प्रकार नही होता-
1. दिपीका पाँच फूट लंबी लड़की है ।
2. मनोज तीन फूट लंबी दिवार कूदा ।
(3) भाववाचक, गुणवाचक और द्रव्यवाचक संज्ञा का प्रयोग हंमेशा एकवचन में होता है ।
(4) कुछ विशिष्ट शब्द हंमेशा बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं । जैसे-
प्राण, दर्शन, लोग, आँसु, बाल, होठ, समाचार, हस्ताक्षर इत्यादि ।
(5) आदर या सम्मान व्यक्त करने के लिए मान सूचक या आदरार्थ बहुवचन का प्रयोग होता है ।
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